राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर लगाए गए कांग्रेस के आरोपों पर फ्रांस ने जवाब दिया है।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, फ्रेंच डिप्लोमैटिक सोर्सेस

ने कहा, “राफेल डील में भारत का फायदा है। इस मिलिट्री जेट को इसकी आउटस्टैंडिंग परफॉर्मेंस और कम्पेटेटिव प्राइस के चलते सेलेक्ट किया गया है।” सोर्सेस ने सीधे कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा- किसी भी तरह का दावा करने से पहले फैक्ट्स को चेक किए जाने की जरूरत है। बता दें कि मंगलवार को कांग्रेस लीडर सुरजेवाला ने कहा था, ”
ने राफेल डील में अपने बिजनेसमैन दोस्त के लिए देश की सुरक्षा से समझौता किया। इस डील से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचेगा।” बता दें कि भारत ने 36 राफेल फाइटर जेट्स के लिए फ्रांस के साथ 59000 करोड़ की डील की है।
फ्रांस के डिप्लोमैटिक सोर्सेस ने कहा कांग्रेस के आरोपों पर सीधे नाम नहीं लिया और इसे घरेलू राजनीतिक मसला बताया।
– उन्होंने कहा, “राफेल का सेलेक्शन उसकी बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए किया गया और इस दौरान ट्रांसपैरेंट प्रॉसीजर को फॉलो किया गया। इसके चलते भारत की डिफेंस इंडस्ट्री के डेवलपमेंट में मदद मिलेगी। किसी भी तरह का उल्टा दावा करने से पहले फैक्ट्स को चेक किया जाना चाहिए।
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा था, “राफेल डील से घोटाले की बू आ रही है। इस डील में ट्रांस्पैरेंसी नहीं थी। सिक्युरिटी नॉर्म्स की परवाह किए बगैर राफेल डील को अप्रूवल दिया गया। इस डील के मौके पर ना तो डिफेंस मिनिस्टर मौजूद थे और ना ही कैबिनेट की सिक्युरिटी कमेटी और दूसरी एजेंसियों से मंजूरी ली गई थी। यूपीए सरकार ने 54000 करोड़ रु से 126 राफेल जेट्स की डील की थी। साथ ही टेक्नोलॉजी के लिए भी डील हुई थी। मोदी सरकार ने बिना टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के 60 हजार करोड़ की बड़ी डील की और केवल 36 राफेल के लिए।’
राफेल डील को आगे बढ़ाए जाने के सवाल पर फ्रेंच डिप्लोमैटिक सोर्सेस ने कहा, “ये भारत के ऊपर है। लेकिन, हम राफेल जेट्स की डील वक्त पर पूरी करने पर फोकस कर रहे हैं। अगर आगे भी जरूरत पड़ी तो हमें सहयोग करके खुशी होगी।
राफेल विमान फ्रांस की डेसाल्ट कंपनी द्वारा बनाया गया 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है। ये एक मिनट में 60,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है। साथ ही यह 2200 से 2500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। सबसे खास बात ये है कि इसमें मॉडर्न ‘मिटिअर’ मिसाइल और इजराइली सिस्टम भी है।
23 सितंबर, 2016 को फ्रांस के रक्षामंत्री ज्यां ईव द्रियां और भारत के रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर ने नई दिल्ली में राफेल सौदे पर साइन किए थे। भारत सरकार ने 59,000 करोड़ की फ्रांस से डील की थी। डील के तहत 36 राफेल फाइटर जेट विमान मिलने हैं। पहला विमान सितंबर 2019 तक मिलने की उम्मीद है और बाकी के विमान बीच-बीच में 2022 तक मिलने की उम्मीद है।
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